नन्हे ज़ज़बात
हेलो दोस्तों,,आज काफी दिनों बाद मैंने अपनी नई रचना लिखी हैं //यह कविता को मैंने पियाली के लिए लिखा हैं//
नन्हे ज़ज़बात
आंखों के दर्पण में वो बसी हैं,
दिल के धड़कन में वो बसी है,
सुना है रास्ता,आसमां है खुला,
ना जाने उनकी निगाहें कहां टिकी है//
याद आता है वो छन ,
जब मृदुल था उनका कन कन ,
शब्द छोटे हैं जज्बात नहीं,
ना जाने उनकी निगाहें कहां टिकी है//
उनका तिरस्कार- मेरा अपमान,
उनकी शोभा-मेरा अभिमान,
उन पुराने लम्हों में ही पूरी बात टिकी है,
उनके सामने हर सुकन्या फीकी है,
ना जाने उनकी निगाहें कहां टिकी है,
हमारे मिलन की बात ही अलग है,
उसकी ख़ामोशी ही बहुत सजग हैं,
नदियों में उफान, रात्रि में प्रेम बरसात,
उनके मुस्कान पर ही हमारी जिंदगी बसी है,
ना जाने उनकी निगाहें कहां टिकी है//
हंस कर रोना, रो के हंसना,
उन्होंने ही मुझे सिखाया,
गम में भी सहारा दिखाया,
दूसरे से नहीं अपने से भी परिचित कराया,
ना जाने उनकी निगाहें कहां टिकी है//
सुगंधित पल,प्यार का जल,
थोड़ा आज थोड़ा कल,
उनके लिए कुंवारों की लंबी कतार लगी है,
उनकी उदासी पर ही पूरी दुनिया रुसी है,
ना जाने उनकी निगाहें कहां टिकी है//
A JOURNEY TO FINDS WHO AM I?
- SACHIN KUMAR
Beautiful poem, indeed.
ReplyDeleterespect!!!!
DeleteNice poem ..... waiting for next stanza...mr. sachin
ReplyDeletecoming soon maam!!!!!!!
DeleteNice
ReplyDeleteKya khub
dhayanbad!!!
Deleteawesome poem..
ReplyDeleteThanks bhai
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